शादी का मौसम

शादी का मौसम आ गया

शादी ब्याह या जनम दिन पर पार्टी करने मे पैसा पानी की तरह बहाओगे तो एक दिन पानी खरीदने के लिये पैसा तो होगा लेकिन पानी नहि होगा …

मनुष्यने तो इन्सानीयत छोड के केवल अपने भौतिक सुख सुविधा के लिये धरतीमां की छाती को चीरफाडके खनिज संपत्तिको लूटकर प्राकृतिक असमतुला कर के मुंगे जीवो का जीना मुश्किल कर दिया है ।

पैसा .. पानी … पेट्रोल … सोच समझ के इस्तेमाल करो …

plz do not waste natural resources.

About અખિલ સુતરીઆ

મારા વિશે મારે કંઇક કહેવાનું હોય તો, .... થોડુ વિચારવું પડે. મને મારી ઓળખ કરાવે .... એવા એક જ્ણની તલાશમાં છું.
This entry was posted in રોજનીશી ૨૦૦૯. Bookmark the permalink.